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Viceroy Research claims on Vedanta semiconductor unit in India

Vedanta vs Viceroy Research: सेमीकंडक्टर विवाद या फंड ट्रांसफर की चाल?

अमेरिकी शॉर्ट सेलर Viceroy Research और भारतीय माइनिंग दिग्गज वेदांता ग्रुप के बीच गहराता विवाद अब एक नए मोड़ पर आ गया है। इस बार आरोपों का फोकस वेदांता की सेमीकंडक्टर यूनिट Vedanta Semiconductors Pvt Ltd (VSPL) पर है।


Viceroy का आरोप: “सेमीकंडक्टर नहीं, एक शेल ट्रेडिंग ऑपरेशन”

Viceroy Research की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि VSPL कोई असली सेमीकंडक्टर यूनिट नहीं, बल्कि एक नकली कमोडिटी ट्रेडिंग ऑपरेशन है। इसे जानबूझकर इस तरह डिज़ाइन किया गया जिससे यह NBFC कैटेगरी से बाहर रहे। इसका मकसद था:

  • ब्रांड फीस रेमिट करना, जब वेदांता ग्रुप गहरे लिक्विडिटी संकट में था।
  • भारतीय रेगुलेटर्स से ऑपरेशन की असलियत छिपाना, ताकि ऑफशोर लेंडर्स को चुकता किया जा सके।

अप्रैल 2025 की ‘ब्रांड फीस स्कीम’ क्या थी?

रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता लिमिटेड ने अप्रैल 2025 में VSPL के ज़रिए अपनी पैरेंट कंपनी Vedanta Resources को ब्रांड फीस भेजी थी।

🔍 चालाक निवेशक का नज़रिया: इस तरह के ऑपरेशन से यह संकेत मिल सकता है कि ग्रुप नकदी संकट के समय कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर का रचनात्मक उपयोग कर रहा था — लेकिन यह निवेशकों के लिए भरोसे की परीक्षा भी है।


वेदांता का जवाब: “सब कुछ पारदर्शी और कानून के तहत”

वेदांता ग्रुप ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बयान जारी किया:

“VSPL से जुड़े सभी लेन-देन और गतिविधियां पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी मानकों के अनुरूप हैं।” “VSPL और Vedanta Ltd के बीच लोन ट्रांजैक्शन की ब्याज दरें, शर्तें और गारंटी सभी रिपोर्ट किए गए हैं।”


Viceroy का अगला आरोप:

  • अप्रैल 2024 में नकदी संकट के समय VSPL को फिर से सक्रिय किया गया।
  • इसका असली काम सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन नहीं, बल्कि copper, silver, gold जैसी कमोडिटीज़ की शून्य-लाभ ट्रेडिंग करना था।
  • इसी दौरान, VSPL ने INR में 10% NCD जुटाए, जो HZL की हिस्सेदारी के खिलाफ सुरक्षित थे।
  • वही पैसा 12% ब्याज पर वेदांता लिमिटेड को लोन के रूप में दिया गया।

क्या यह एक छुपी हुई लोन स्ट्रक्चरिंग थी?

Viceroy के अनुसार, VSPL सिर्फ एक financial engineering tool है जो FY27 तक के लिए लोन सर्विसिंग को छिपाने की योजना का हिस्सा था।

🧠 ChalakInvestor की राय: इस तरह की गतिविधियां कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं, खासकर तब जब पब्लिक मार्केट से पूंजी जुटाई जा रही हो।


सवालों का जवाब नहीं?

Viceroy का दावा है कि उसने 9 जुलाई से वेदांता को सवाल भेजे, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया।

“अगर रिपोर्ट इतनी जल्दी खारिज की जा सकती है, तो सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया गया?”


विवाद की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब 9 जुलाई को Viceroy ने वेदांता रिसोर्सेज पर शॉर्ट पोजीशन ली और आरोप लगाया कि कंपनी भारत से सिस्टमेटिकली फंड निकाल रही है।


वेदांता के शेयर का हाल

  • 🗕 18 जुलाई 2025 को शेयर बंद हुआ: ₹445.40 (+0.24%)
  • 🔽 पिछले 1 महीने में गिरावट: -0.38%
  • 🕁️ साल 2025 में रिटर्न: +0.21%
  • 💰 मार्केट कैप: ₹1.66 लाख करोड़

निष्कर्ष: निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत

इस विवाद में दोनों पक्षों के अपने तर्क हैं।
वेदांता का कहना है कि सब कुछ कानूनी है, जबकि Viceroy की रिपोर्ट इसे जटिल कॉर्पोरेट ट्रिक मानती है।

🤔 ChalakInvestor की सलाह: इस समय वेदांता से जुड़े किसी भी निवेश निर्णय से पहले वित्तीय विवरणों, लिक्विडिटी पोजिशन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गहराई से नजर डालनी चाहिए।


Disclaimer:

यह लेख केवल सूचना हेतु है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।

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