Taxes on Stocks: STCG और LTCG शेयर बाज़ार में निवेश करने पर सिर्फ़ मुनाफ़ा ही नहीं, बल्कि टैक्स का पहलू भी समझना ज़रूरी है। Taxes on Stocks: STCG और LTCG भारत में स्टॉक्स से होने वाले मुनाफ़े पर दो तरह के टैक्स लगते हैं – Short Term Capital Gains (STCG) और Long Term Capital Gains (LTCG)। यह टैक्स आपकी होल्डिंग पीरियड और मुनाफ़े की राशि पर निर्भर करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
1. Short Term Capital Gains (STCG) क्या है?
जब आप किसी शेयर को खरीदने के 12 महीने के अंदर बेचते हैं और मुनाफ़ा कमाते हैं, तो वह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।
टैक्स रेट: लिस्टेड इक्विटी शेयर्स पर STCG टैक्स फ्लैट 15% (साथ में सेस और सरचार्ज) है।
उदाहरण: अगर आपने ₹1,00,000 के शेयर खरीदे और 6 महीने बाद ₹1,20,000 में बेचे, तो ₹20,000 पर 15% टैक्स देना होगा।
2. Long Term Capital Gains (LTCG) क्या है?
अगर आप शेयर को 12 महीने से ज़्यादा समय तक होल्ड करने के बाद बेचते हैं, तो मुनाफ़ा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।
टैक्स रेट: सालाना ₹1 लाख तक के LTCG पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन ₹1 लाख से ज़्यादा मुनाफ़े पर 10% टैक्स लगता है (बिना इंडेक्सेशन)।
उदाहरण: अगर 15 महीने बाद आपको ₹2,50,000 का मुनाफ़ा होता है, तो ₹1,50,000 पर 10% टैक्स लगेगा।
3. STCG और LTCG में मुख्य अंतर
आधार | STCG | LTCG |
---|---|---|
होल्डिंग अवधि | 12 महीने या कम | 12 महीने से अधिक |
टैक्स दर | 15% | ₹1 लाख से ज़्यादा पर 10% |
टैक्स छूट | नहीं | ₹1 लाख तक छूट |
4. टैक्स कैलकुलेशन कैसे करें?
मुनाफ़ा निकालें – (बिक्री मूल्य – खरीद मूल्य)
होल्डिंग अवधि चेक करें – STCG या LTCG तय करने के लिए।
टैक्स रेट लागू करें – तय नियम के अनुसार।
5. ChalakInvestor की सलाह
टैक्स प्लानिंग को अपने निवेश प्लान का हिस्सा बनाएं।
साल के अंत में LTCG को ₹1 लाख की सीमा तक ही रियलाइज़ करें, ताकि टैक्स कम लगे।
ज़रूरत हो तो किसी सेबी रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार से मदद लें।