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Short Selling का मतलब और उदाहरण हिंदी में

Short Selling क्या होती है? पूरी जानकारी आसान भाषा में

शेयर मार्केट में लोग अक्सर सुनते हैं कि “शेयर खरीदो और दाम बढ़ने पर बेचो।” लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर की कीमत गिरने पर भी मुनाफा कमाया जा सकता है? यही प्रक्रिया Short Selling कहलाती है।
इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि Short Selling क्या होती है, यह कैसे काम करती है, इसके फायदे-नुकसान क्या हैं और भारत में इसके नियम क्या हैं।


Short Selling क्या होती है?

शार्ट सेल्लिंग का मतलब है – बिना शेयर अपने पास रखे हुए, उन्हें उधार लेकर बेचना।
ट्रेडर शेयर ब्रोकरेज से शेयर उधार लेता है और उन्हें ऊँचे दाम पर बेच देता है।
जब शेयर की कीमत नीचे आती है, तो वह उन्हें कम दाम में खरीदकर ब्रोकरेज को वापस लौटा देता है।
बीच का जो अंतर होता है, वही उसका मुनाफा कहलाता है।


Short Selling कैसे काम करती है?

शार्ट सेल्लिंग को समझने के लिए आसान स्टेप्स देखें:

  1. शेयर उधार लेना – ब्रोकरेज से शेयर उधार लिए जाते हैं।

  2. मार्केट में बेचना – उन शेयरों को तुरंत ऊँचे दाम पर बेच दिया जाता है।

  3. कीमत गिरने का इंतजार करना – उम्मीद की जाती है कि कीमत गिरेगी।

  4. कम दाम पर खरीदना – कीमत गिरने पर उन्हीं शेयरों को वापस खरीदा जाता है।

  5. ब्रोकरेज को लौटाना – शेयर लौटाकर अंतर का फायदा अपने पास रखा जाता है।


Short Selling का उदाहरण

मान लीजिए किसी कंपनी का शेयर अभी ₹500 का है।

  • एक ट्रेडर ने 100 शेयर शॉर्ट सेल किए।

  • उसने उन्हें मार्केट में ₹500 पर बेच दिया यानी ₹50,000 प्राप्त हुए।

  • कुछ दिनों बाद कीमत गिरकर ₹400 रह गई।

  • अब उसने वही 100 शेयर ₹40,000 में खरीदकर वापस कर दिए।

  • कुल लाभ = ₹50,000 – ₹40,000 = ₹10,000।

अगर कीमत ₹600 हो जाती, तो उसे नुकसान उठाना पड़ता।


Short Selling क्यों की जाती है?

शार्ट सेल्लिंग करने के कई उद्देश्य हो सकते हैं:

  • गिरते बाजार से मुनाफा कमाने के लिए

  • हेजिंग (Hedging) यानी अपने पोर्टफोलियो के रिस्क को बैलेंस करने के लिए।

  • प्राइस डिस्कवरी यानी मार्केट में शेयर का सही मूल्य तय करने में मदद।


Short Selling के फायदे

  • गिरते हुए बाजार में भी मुनाफा कमाने का मौका।

  • पोर्टफोलियो को हेज करने का विकल्प।

  • मार्केट की Liquidity बढ़ती है।

  • प्राइस डिस्कवरी में मदद।


Short Selling के नुकसान और जोखिम

  • Unlimited Loss: अगर शेयर की कीमत ऊपर चली गई तो नुकसान असीमित हो सकता है।

  • मार्जिन कॉल का खतरा: ब्रोकरेज अतिरिक्त गारंटी या पैसा मांग सकता है।

  • शॉर्ट स्क्वीज़ का रिस्क: अगर अचानक से बहुत सारे लोग शेयर खरीदने लगें तो कीमत तेजी से बढ़ सकती है।

  • रेगुलेटरी रिस्ट्रिक्शंस: सभी देशों में इसके अलग-अलग नियम होते हैं।


भारत में Short Selling

भारत में SEBI (Securities and Exchange Board of India) शॉर्ट सेलिंग को नियंत्रित करता है।

  • Intraday और F&O (Futures and Options) सेगमेंट में Short Selling की अनुमति है।

  • केवल रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के माध्यम से ही यह संभव है।

  • Retail और Institutional दोनों निवेशक इसमें भाग ले सकते हैं।


Long Position और Short Position में अंतर

  • Long Position: जब निवेशक शेयर खरीदकर रखता है और कीमत बढ़ने का इंतजार करता है।

  • Short Position: जब निवेशक शेयर उधार लेकर बेचता है और कीमत गिरने का इंतजार करता है।


Chalakinvestor की सलाह

  • Short Selling केवल अनुभवी ट्रेडर्स के लिए है।

  • यह हाई रिस्क और हाई रिवार्ड वाली रणनीति है।

  • हमेशा Stop Loss का उपयोग करें।

  • बिना रिसर्च और तकनीकी विश्लेषण के शॉर्ट सेलिंग से बचें।

  • शुरुआती निवेशकों को पहले सामान्य निवेश और Long Position को समझना चाहिए।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. क्या Short Selling से हमेशा मुनाफा होता है?
नहीं, अगर शेयर की कीमत बढ़ गई तो नुकसान असीमित हो सकता है।

Q2. क्या भारत में Short Selling की अनुमति है?
हाँ, लेकिन यह SEBI के नियमों के तहत और केवल Intraday व F&O सेगमेंट में की जाती है।

Q3. क्या नए निवेशकों को Short Selling करनी चाहिए?
शुरुआती निवेशकों को इससे बचना चाहिए क्योंकि इसमें बहुत रिस्क है।

Q4. Short Selling और Long Position में क्या फर्क है?
Long में निवेशक शेयर खरीदकर रखता है, जबकि Short में शेयर उधार लेकर बेचता है।

Q5. क्या Short Selling में Unlimited Loss संभव है?
हाँ, अगर कीमत ऊपर जाती है तो नुकसान की कोई सीमा नहीं होती।


निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने विस्तार से जाना कि Short Selling क्या होती है, यह कैसे काम करती है, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं और भारत में इसके नियम कैसे हैं।
Short Selling एक एडवांस ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है। इसमें मुनाफा तो हो सकता है, लेकिन नुकसान भी असीमित हो सकता है।
इसलिए इसमें निवेश करने से पहले रिसर्च और अनुभव होना बहुत जरूरी है।

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