प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट में क्या होता है?
जब शेयर मार्केट की चर्चा होती है, तो हमेशा दो शब्द सुने जाते हैं — Primary market vs secondary market।
यदि आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो इन दोनों में अंतर समझना ज़रूरी है।
आइए इसको बहुत ही साधारण शब्दों में समझते हैं।
प्राइमरी मार्केट क्या होता है?
प्राइमरी मार्केट वह जगह होती है जहां कंपनी अपने शेयर पहली बार बेचती है।
इस प्रक्रिया को IPO (Initial Public Offering) कहते हैं।
जब कोई कंपनी नए शेयर बनाती है और लोगों को बेचती है, तो वही प्राइमरी मार्केट कहलाता है।
जैसे अगर कोई कंपनी ₹100 करोड़ जुटाने के लिए पहली बार अपने शेयर लोगों को बेचती है,
तो यह Primary market vs secondary market तुलना में “प्राइमरी” हिस्सा होता है।
यहाँ निवेशक सीधे कंपनी से शेयर खरीदते हैं और पैसा सीधे कंपनी को जाता है।
सेकेंडरी मार्केट क्या होता है?
सेकेंडरी मार्केट वह जगह है जहाँ पहले से जारी किए गए शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है।
यहाँ निवेशक एक-दूसरे से शेयर खरीदते और बेचते हैं, कंपनी इसमें सीधे शामिल नहीं होती।
उदाहरण के लिए, आपने एक कंपनी का शेयर IPO में खरीदा और बाद में उसे किसी और को बेचना चाहा—
तो यह लेन-देन सेकेंडरी मार्केट में होगा।
यानी, Primary market vs secondary market में यह “सेकेंडरी” हिस्सा है।
प्राइमरी मार्केट vs सेकेंडरी मार्केट (Difference)
बिंदु | प्राइमरी मार्केट | सेकेंडरी मार्केट |
---|---|---|
शेयर कौन बेचता है? | कंपनी खुद बेचती है पहली बार | निवेशक दूसरे निवेशक को बेचता है |
पैसा किसे मिलता है? | कंपनी को | शेयर बेचने वाले निवेशक को |
शेयर नए होते हैं? | हाँ | नहीं, पहले से मौजूद |
उदाहरण | IPO | NSE/BSE ट्रेडिंग |
कीमत कैसे तय होती है? | कंपनी तय करती है | मांग और आपूर्ति तय करते हैं |
लेन-देन किसके बीच? | कंपनी और निवेशक | निवेशक और निवेशक |
लेन-देन की आवृत्ति | एक बार | रोजाना |
दोनों का निवेश में महत्व
प्राइमरी मार्केट निवेशकों को शुरुआती निवेश का मौका देता है,
जबकि सेकेंडरी मार्केट उन्हें शेयर बेचने और मुनाफा कमाने की सुविधा देता है।
दोनों मार्केट एक-दूसरे पर निर्भर हैं—
बिना प्राइमरी मार्केट के नए शेयर नहीं आएंगे और बिना सेकेंडरी मार्केट के उनका लेन-देन नहीं होगा।