स्टॉक मार्केट में जब भी कोई निवेशक शेयर खरीदता या बेचता है, तो जरूरी नहीं कि हर समय तुरंत Buyer या Seller उपलब्ध हो। ऐसे समय में Market Maker की भूमिका बहुत अहम होती है। Market Maker वह होता है जो हमेशा Buyer और Seller दोनों की तरह खड़ा रहता है और Market में Liquidity (नकदी प्रवाह) बनाए रखता है।
अब सवाल यह है कि आखिर Market Maker कौन होता है और यह कैसे काम करता है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
परिभाषा Market Maker की
Market Maker कौन होता है?
Market Maker वह संस्था या व्यक्ति होता है जो हर समय किसी शेयर या सिक्योरिटी के लिए Buy Price (Bid Price) और Sell Price (Ask Price) Quote करता है। इसका मुख्य काम Market में Liquidity बनाए रखना और Investor को हर समय Buyer-Seller उपलब्ध कराना होता है।
जिम्मेदारियाँ Market Maker की
हर समय Buy और Sell Quote देना
Market में Liquidity बनाए रखना
Price Volatility यानी कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव को कम करना
Investor को Fair और Fast Execution देना
Investor के भरोसे को बढ़ाना
Market Maker कैसे काम करता है?
Market Maker एक Middleman की तरह काम करता है।
वह हर समय किसी शेयर को खरीदने और बेचने के लिए तैयार रहता है।
वह Bid Price (खरीदने की कीमत) और Ask Price (बेचने की कीमत) दोनों तय करता है।
दोनों Prices के बीच का अंतर ही Spread कहलाता है।
Market Maker का Profit इसी Spread से आता है।
उदाहरण:
अगर Market Maker किसी शेयर को ₹100 पर खरीदने (Bid) और ₹102 पर बेचने (Ask) के लिए तैयार है, तो उसका Spread ₹2 है। यानी वह हर Transaction पर ₹2 Profit कमाता है।
Market Maker की विशेषताएँ
हमेशा Market में Active रहते हैं।
Buyer और Seller दोनों को Service देते हैं।
Risk उठाते हैं लेकिन Spread से Profit कमाते हैं।
Exchange द्वारा Authorized होते हैं।
Market में Stability और Liquidity बनाए रखते हैं।
महत्व Market Maker का
Liquidity लाना: Market में हर समय Buyer-Seller मौजूद रहते हैं।
Price Stability: ज्यादा उतार-चढ़ाव को रोकते हैं।
Investor Confidence: Investor को भरोसा होता है कि उसे तुरंत Buyer या Seller मिल जाएगा।
Trading Volume बढ़ाना: Market में Activity बढ़ती है।
फायदे Market Maker के
Investors को हमेशा Buyer और Seller मिल जाते हैं।
Trading जल्दी और Smooth तरीके से होती है।
Market में Liquidity बनी रहती है।
Market ज्यादा Stable रहता है।
Market Maker के नुकसान
कभी-कभी Spread बहुत ज्यादा होने से Investor को नुकसान होता है।
Manipulation का Risk रहता है।
Market Maker अपने हित में Prices को प्रभावित कर सकता है।
Market Maker और Broker में अंतर
आधार | Market Maker | Broker |
---|---|---|
भूमिका | Buyer और Seller दोनों बनता है | केवल Investor के लिए Deal कराता है |
Profit | Spread से कमाता है | Commission या Brokerage से कमाता है |
Risk | अपने Funds से Risk लेता है | Investor के Funds से Transaction कराता है |
भारत में Market Makers
भारत में NSE और BSE पर Market Makers मौजूद हैं।
खासकर SME Exchange में Market Makers की भूमिका बहुत अहम होती है।
SEBI ने इनके लिए खास नियम बनाए हैं ताकि Market Fair और Transparent रहे।
Chalakinvestor की सलाह
अगर आप Trading कर रहे हैं तो Market Maker की भूमिका समझना जरूरी है।
हमेशा Liquidity और Spread पर ध्यान दें।
सिर्फ Liquidity देखकर Investment न करें, कंपनी के Fundamentals भी जरूर देखें।
SME Segment में निवेश करने से पहले Market Maker की Activity जरूर जांचें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. Market Maker कौन होता है?
Ans: Market Maker वह होता है जो हर समय Buy और Sell Price Quote करके Market में Liquidity बनाए रखता है।
Q2. Market Maker Profit कैसे कमाता है?
Ans: Bid और Ask Price के बीच के अंतर यानी Spread से।
Q3. क्या Market Maker और Broker एक जैसे होते हैं?
Ans: नहीं, Broker सिर्फ Deal कराता है जबकि Market Maker खुद Buyer और Seller दोनों की तरह काम करता है।
Q4. क्या भारत में Market Makers हैं?
Ans: हाँ, NSE और BSE पर Market Makers Active हैं, खासकर SME Exchange में।
Q5. Market Maker क्यों ज़रूरी है?
Ans: ताकि Market में हर समय Liquidity बनी रहे और Investor को तुरंत Buyer या Seller मिल सके।
निष्कर्ष
अब आप अच्छे से समझ गए होंगे कि Market Maker कौन होता है। यह Stock Market का एक अहम हिस्सा है जो Market में Liquidity और Stability बनाए रखता है। यह Investor को भरोसा दिलाता है कि उसे हर समय Buyer और Seller मिल जाएंगे। हालांकि Spread और Manipulation के Risk भी रहते हैं, लेकिन Capital Market की Growth और Smooth Trading के लिए Market Makers बहुत ज़रूरी हैं।