लॉन्ग टर्म vs शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट
- जब पैसा निवेश करने की बात आती है, तो अक्सर सोचते हैं – लॉन्ग टर्म vs शॉर्ट टर्म निवेश में क्या बेहतर है?
- लॉन्ग टर्म निवेश लंबे समय (5 साल या ज्यादा) के लिए होता है, जैसे SIP या रिटायरमेंट फंड।
- शॉर्ट टर्म निवेश कम समय (1–3 साल) के लिए होता है, जैसे FD या लिक्विड फंड।
- अगर लक्ष्य बड़ा है तो लंबी अवधि चुनें, वरना जल्दी पैसे चाहिए तो छोटी अवधि बेहतर है।
- जरूरत और समय के हिसाब से निवेश करना ही सही रणनीति है।
लॉन्ग टर्म निवेश क्या है ?
- लॉन्ग टर्म निवेश का अर्थ है – लंबे समय तक के लिए पैसा लगाना, ताकि भविष्य में बेहतर रिटर्न मिल सके। इसे long term investment भी कहा जाता है।
- जैसे कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा।
- ऐसे निवेश का उद्देश्य होता है —
- भविष्य के बड़े सपनों को साकार करना
- जैसे कि मकान क्रय करना, बच्चों की शिक्षा, या रिटायरमेंट।
EXAMPLE : –
- म्यूचुअल फंड (SIP)
- PPF
- शेयर बाजार में लंबी दीर्घकालिकता पर निवेश
- रियल एस्टेट
- शॉर्ट टर्म निवेश क्या है?
- शॉर्ट टर्म निवेश मतलब है —
- कुछ महीने से 3 साल तक के लिए पैसा लगाना।
इसका मकसद होता है —
- छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करना,
- जैसे मोबाइल खरीदना, ट्रैवल करना, या इमरजेंसी फंड बनाना।
EXAMPLE : –
- फिक्स्ड डिपॉज़िट (3 साल से कम)
- शॉर्ट टर्म म्यूचुअल फंड
- लिक्विड फंड
कैसे तय करें कि कौन-सा सही है?
- सबसे पहले, आपको अपने फाइनेंशियल लक्ष्य तय करने चाहिए।
- अगर आपका लक्ष्य कुछ सालों बाद का है, जैसे घर खरीदना, तो लॉन्ग टर्म निवेश बेहतर रहेगा।
- लेकिन अगर आपको 1-2 साल में पैसों की ज़रूरत है, तो शॉर्ट टर्म निवेश सही होगा।
- साथ ही, आपकी रिस्क लेने की ताकत भी अहम है।
- अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते, तो शॉर्ट टर्म सुरक्षित है।
- वहीं, अगर आप धैर्य रख सकते हैं, तो लॉन्ग टर्म से अच्छा रिटर्न मिलता है।
निष्कर्ष: (Conclusion )
लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म — दोनों निवेश ज़रूरी हैं।
लॉन्ग टर्म से भविष्य सुरक्षित होता है,
वहीं, शॉर्ट टर्म आपकी व्यावहारिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
जैसे कि आप दोनों का सही संतुलन बनाएं फिर
आपकी फाइनेंशियल लाइफ मजबूत और सुरक्षित हो जाएगी।