IPO क्या है?
(Initial Public Offering) वह प्रक्रिया है IPO में निवेश कैसे करें जिसमें कोई निजी कंपनी पहली बार
अपने शेयर जनता को बेचकर स्टॉक मार्केट में लिस्ट होती है। यह निवेशकों को शुरुआती
चरण में कंपनी का हिस्सा बनने का अवसर देता है।
IPO के लिए आवेदन कैसे करें?
IPO में निवेश करने के लिए आपके पास Demat Account और Trading Account होना जरूरी है।
बिना इन खातों के आप शेयर खरीद या बेच नहीं सकते। इसके अलावा एक बैंक खाता भी होना चाहिए जिससे भुगतान किया जाएगा।
ऑनलाइन IPO के लिए आवेदन हेतु आवश्यक खाते
Demat Account – शेयर रखने के लिए।
Trading Account – शेयर खरीदने-बेचने के लिए।
बैंक खाता – पेमेंट और रिफंड के लिए।
UPI ID या Net Banking – ऑनलाइन आवेदन के लिए।
IPO प्रक्रिया कैसे काम करती है?
कंपनी SEBI को DRHP सबमिट करती है।
SEBI की मंजूरी के बाद प्राइस बैंड और लॉट साइज तय होता है।
निवेशक आवेदन करते हैं।
अलॉटमेंट प्रक्रिया होती है।
शेयर Demat Account में आते हैं और लिस्टिंग होती है।
IPO का मूल्य कौन निर्धारित करता है?
कंपनी और उसके बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLMs) मार्केट रिसर्च और कंपनी के फाइनेंशियल के
आधार पर प्राइस बैंड तय करते हैं।
IPO के फायदे
शुरुआती निवेश पर अच्छा रिटर्न पाने का मौका।
ग्रोथ पोटेंशियल वाली कंपनी में निवेश।
लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि।
IPO के नुकसान
लिस्टिंग के बाद कीमत गिरने का जोखिम।
मार्केट की अनिश्चितता।
कंपनी का भविष्य प्रदर्शन अनुमानित नहीं होता।
आईपीओ का व्यापार कैसे करें?
लिस्टिंग के बाद आप शेयर को स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE) पर ट्रेड कर सकते हैं।
आप चाहें तो लिस्टिंग डे पर बेचकर मुनाफा लें या लंबे समय तक होल्ड करें।
IPO प्रक्रिया कितनी लंबी होती है?
IPO ओपनिंग से लेकर लिस्टिंग तक आमतौर पर 7–10 दिन लगते हैं, जिसमें अलॉटमेंट और रिफंड प्रक्रिया शामिल होती है।
नए IPO स्टॉक कैसे ढूंढें?
NSE/BSE वेबसाइट
SEBI घोषणाएं
स्टॉक मार्केट न्यूज़ पोर्टल
ब्रोकरेज ऐप्स
IPO के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन
ऑनलाइन – Net Banking (ASBA) या UPI से।
ऑफलाइन – बैंक या ब्रोकरेज के जरिए फॉर्म भरकर।
IPO शेयरों में निवेश कैसे करें – आवेदन प्रक्रिया
Demat और Trading Account खोलें।
UPI/Net Banking से आवेदन करें।
लॉट साइज के अनुसार बोली लगाएं।
अलॉटमेंट मिलने पर शेयर Demat में आएंगे।
ChalakInvestor की सलाह
IPO में निवेश करते समय केवल नाम या ट्रेंड देखकर निर्णय न लें। कंपनी के बिज़नेस मॉडल, प्रॉफिट ग्रोथ और सेक्टर एनालिसिस जरूर करें।