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इंट्राडे और डिलीवरी में फर्क

Intraday और Delivery में क्या फ़र्क है?

जब आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करते हैं, तो सबसे पहले जिन दो शब्दों से सामना होता है, वे हैं – इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग। ये दोनों ट्रेडिंग के तरीके हैं, जिनमें शेयर खरीदने और बेचने के नियम अलग-अलग होते हैं। Intraday और Delivery में फर्क समझना जरूरी है क्योंकि दोनों की रणनीति, समय और जोखिम का स्तर काफी अलग होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन के भीतर शेयर खरीदकर बेच दिए जाते हैं, जिसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग भी कहा जाता है। इसके विपरीत, डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर लंबे समय तक होल्ड किए जाते हैं, जिसे लॉन्ग टर्म होल्डिंग कहा जाता है। एक तरफ जहां इंट्राडे तेज़ मुनाफा देने की कोशिश करता है, वहीं डिलीवरी स्थिर और सुरक्षित रिटर्न पर फोकस करता है। इसलिए हर निवेशक को इन दोनों तरीकों की स्पष्ट समझ होनी चाहिए ताकि वह अपने लिए सही विकल्प चुन सके।

Intraday Trading क्या है?

Intraday Trading का अर्थ है –
एक ही दिन में शेयर खरीदना और बेचना। मॉर्निंग में बाज़ार ख़रीदा और दिन की समाप्ति से पूर्व बेच दिया गया।
शेयर आपके डिमैट अकाउंट में नहीं हैं। यह है प्राइस के उतार-चढ़ाव पर प्रॉफिट कमाने का तरीका।
उदाहरण:-

  • यदि आपने नाश पॉइंट पर ₹100 में शेयर ख़रीदा and
  • दोपहर में ₹105 पर बेच दिया, then
  • ₹5 का प्रॉफिट हो गया।
  • लेकिन, यदि उसी दिन शेयर गिर गया,
  • तब नुकसान भी हो सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?

डिलीवरी का अर्थ है कि जब आप शेयर खरीदते हैं, तो वह आपके डिमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है और आप उसे कई दिन, हफ्ते या सालों तक होल्ड कर सकते हैं। इसमें आपको शेयर का मालिकाना हक मिलता है और आप जब चाहें, उसे बेच सकते हैं – चाहे उसी हफ्ते या सालों बाद। इस ट्रेडिंग स्टाइल में लॉन्ग टर्म ग्रोथ और Stability पर जोर होता है। Intraday और Delivery में फर्क यहीं दिखाई देता है – जहां डिलीवरी में समय की कोई पाबंदी नहीं होती और रिस्क कम होता है, वहीं इंट्राडे में तेजी होती है लेकिन जोखिम भी ज़्यादा होता है। इसलिए निवेश से पहले यह समझना जरूरी है कि आपकी strategy किस तरह की ट्रेडिंग के  मुनासिब है।

उदाहरण:-

  • आज आपने ₹100 में शेयर खरीदा।
  • 6 महीने बाद वो ₹150 हो गया।
  • आप फिर बेच सकते हैं और ₹50 का लाभ अर्जित कर सकते हैं।

सावधानियां

इंट्राडे में:-

  • बाजार की चाल समझनी जरूरी है।
  • जल्दी फैसला करना पड़ता है।
  • एक गलती बड़ा नुकसान कर सकती है।

डिलीवरी में:-

  • लंबी अवधि की सोच होनी चाहिए।
  • कंपनी की रिसर्च जरूरी है।
  • धैर्य रखना पड़ता है।

निष्कर्ष

  • इंट्राडे में कम समय में फायदा होता है, लेकिन रिस्क भी ज्यादा होता है।
  • डिलीवरी में शेयर आपके पास रहते हैं और आप लंबे समय में मुनाफा कमा सकते हैं।
  • अतः, आपको आपकी रणनीति, अनुभव और आपके लक्ष्य के आधार पर ट्रेडिंग तरीका बनना चाहिए।

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