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Google fine 29 thousand crore rupees and Trump reaction

Google पर 29 हजार करोड़ का जुर्माना, भड़क उठे ट्रंप – जानिए पूरा मामला

ट्रंप का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूटा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गूगल पर यूरोपीय आयोग द्वारा लगाए गए 29 हजार करोड़ रुपये (3.5 बिलियन डॉलर) के जुर्माने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट करते हुए इस कार्रवाई को “अमेरिकी कंपनियों और निवेश के खिलाफ भेदभाव” बताया।

ट्रंप ने लिखा –
“यूरोप लगातार अमेरिकी टेक कंपनियों को निशाना बना रहा है। गूगल पर 3.5 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। यह अमेरिकी टैक्सपेयर और कंपनियों के साथ नाइंसाफी है।”


एप्पल का हवाला देते हुए ट्रंप का बयान

ट्रंप ने अपने बयान में Apple का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यूरोप ने एप्पल पर 17 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था, जो पूरी तरह से गलत था और उसे वापस मिलना चाहिए।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यूरोप ने इस तरह की कार्रवाइयां बंद नहीं कीं तो उनकी सरकार धारा 301 (Section 301) के तहत सख्त कदम उठाएगी और इन अनुचित जुर्मानों को चुनौती देगी।


यूरोपीय आयोग ने गूगल पर क्यों लगाया जुर्माना?

यूरोपीय आयोग (European Commission) ने गूगल पर यह जुर्माना डिजिटल विज्ञापन तकनीक के दुरुपयोग के आरोप में लगाया है।

मुख्य आरोप:

  • गूगल अपनी सेवाओं को प्राथमिकता देता है।

  • प्रतिस्पर्धियों के साथ अनुचित व्यवहार करता है।

  • ऑनलाइन प्रकाशकों को नुकसान पहुंचाता है।

  • बाजार में अपनी बढ़ी हुई ताकत का दुरुपयोग करता है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर अमेरिका और यूरोप के बीच टेक कंपनियों को लेकर तनाव बढ़ा दिया है।


अमेरिका बनाम यूरोप: टेक कंपनियों को लेकर विवाद

यह पहली बार नहीं है जब यूरोप ने किसी अमेरिकी टेक कंपनी पर बड़ा जुर्माना लगाया हो।

  • एप्पल, मेटा (Facebook), अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को भी पहले भारी पेनाल्टी का सामना करना पड़ा है।

  • यूरोप का मानना है कि अमेरिकी टेक कंपनियां बाजार पर कब्जा जमाकर प्रतिस्पर्धा को खत्म कर रही हैं।

  • वहीं अमेरिका का तर्क है कि यूरोप जानबूझकर अमेरिकी कंपनियों को टारगेट करता है।


निष्कर्ष

गूगल पर लगे इस भारी जुर्माने के बाद ट्रंप का गुस्सा सोशल मीडिया पर साफ झलक रहा है। यह मामला सिर्फ गूगल तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका और यूरोप के बीच टेक सेक्टर में बढ़ते तनाव को भी उजागर करता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका वास्तव में Section 301 के तहत क्या कदम उठाता है और गूगल इस फैसले को कैसे चुनौती देता है।

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