शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले किसी कंपनी की कमाई (Profitability) को समझना बहुत जरूरी होता है। निवेशक यह जानना चाहते हैं कि कंपनी ने एक शेयर पर कितना मुनाफा कमाया है। इसी जानकारी को EPS (Earnings Per Share) कहा जाता है।
यह एक ऐसा अनुपात (Ratio) है जो कंपनी की आर्थिक स्थिति और परफॉर्मेंस को दर्शाता है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि EPS (Earnings Per Share) क्या है, इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है, इसके प्रकार, महत्व, फायदे और सीमाएँ क्या हैं।
EPS (Earnings Per Share) क्या है?
EPS का मतलब है प्रति शेयर आय (Earnings Per Share)।
यह किसी कंपनी के कुल शुद्ध लाभ (Net Profit) को उसके कुल Outstanding Shares से विभाजित करके निकाला जाता है।
EPS बताता है कि कंपनी ने एक शेयर पर कितना मुनाफा कमाया है।
Formula:
EPS=NetProfit–PreferredDividendTotalOutstandingSharesEPS = \dfrac{Net Profit – Preferred Dividend}{Total Outstanding Shares}
सरल शब्दों में कहें तो EPS = कंपनी की कमाई ÷ शेयरों की संख्या।
EPS कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
EPS को निकालने के लिए तीन स्टेप्स अपनाए जाते हैं:
कंपनी का Net Profit निकालें।
उसमें से Preferred Dividend घटाएँ (अगर कंपनी ने Preference Shareholders को Dividend दिया है तो)।
बचे हुए मुनाफे को Outstanding Shares की संख्या से Divide करें।
उदाहरण
मान लीजिए किसी कंपनी का Net Profit ₹10,00,000 है।
उसने ₹2,00,000 Preference Dividend दिया और उसके पास 2,00,000 Outstanding Shares हैं।
EPS=(10,00,000–2,00,000)÷2,00,000=₹4EPS = (10,00,000 – 2,00,000) ÷ 2,00,000 = ₹4
इसका मतलब है कि कंपनी ने प्रति शेयर ₹4 का मुनाफा कमाया।
प्रकार EPS के (Types of EPS)
Basic EPS
यह सबसे सरल तरीका है।
Net Profit ÷ Outstanding Shares से निकाला जाता है।
Diluted EPS
इसमें Convertible Bonds, Options और Warrants को भी ध्यान में रखा जाता है।
यह कंपनी की वास्तविक स्थिति बताता है।
Trailing EPS
पिछले 12 महीनों के डेटा पर आधारित होता है।
इसे कंपनी की पिछली परफॉर्मेंस जानने के लिए उपयोग किया जाता है।
Forward EPS
यह भविष्य में होने वाली संभावित Earnings पर आधारित होता है।
एनालिस्ट्स अनुमान के आधार पर इसे कैलकुलेट करते हैं।
EPS का महत्व (Importance of EPS)
EPS किसी कंपनी की Financial Health को समझने के लिए बेहद जरूरी है।
यह बताता है कि कंपनी ने एक शेयर पर कितना Profit कमाया।
निवेशक EPS देखकर कंपनी की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं।
शेयर की कीमत और Valuation करने में EPS का अहम रोल है।
P/E Ratio (Price to Earnings Ratio) निकालने के लिए EPS जरूरी है।
फायदे EPS के
कंपनी की Profitability का आसान अंदाजा मिलता है।
निवेशक एक कंपनी की तुलना दूसरी कंपनियों से कर सकते हैं।
EPS बढ़ने का मतलब है कि कंपनी ग्रोथ कर रही है।
शेयर मार्केट एनालिसिस और Valuation के लिए मजबूत आधार।
EPS की सीमाएँ (Limitations)
केवल EPS देखकर कंपनी का पूरा विश्लेषण नहीं किया जा सकता।
कभी-कभी कंपनियाँ Net Profit में हेरफेर करके EPS बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती हैं।
Diluted EPS में भविष्य की अनिश्चितता रहती है।
EPS कंपनी की Debt Position या Cash Flow के बारे में नहीं बताता।
भारत में EPS
भारत में हर Listed Company को अपने Quarterly और Annual Results में EPS बताना जरूरी होता है।
SEBI (Securities and Exchange Board of India) कंपनियों को EPS रिपोर्ट करने के लिए बाध्य करता है।
इससे निवेशकों को कंपनी की Financial Performance की सही जानकारी मिलती है।
Chalakinvestor की सलाह
EPS जितना ज्यादा होगा, कंपनी उतनी मजबूत मानी जाती है।
लेकिन सिर्फ EPS देखकर निवेश न करें।
कंपनी का P/E Ratio, Debt Ratio, Growth Trends और Management Quality भी देखें।
अगर किसी कंपनी का EPS लगातार बढ़ रहा है, तो यह निवेश के लिए अच्छा संकेत हो सकता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. EPS का मतलब क्या है?
EPS का मतलब है प्रति शेयर आय यानी Earnings Per Share।
Q2. EPS ज्यादा होना अच्छा है या कम?
EPS जितना ज्यादा होगा, कंपनी उतनी ज्यादा प्रॉफिटेबल मानी जाएगी।
Q3. Basic EPS और Diluted EPS में क्या अंतर है?
Basic EPS = साधारण कैलकुलेशन, Diluted EPS = Convertible Securities को शामिल करके कैलकुलेशन।
Q4. क्या EPS से शेयर प्राइस पता चलता है?
EPS सीधे शेयर प्राइस नहीं बताता, लेकिन P/E Ratio में इस्तेमाल होने से Valuation में मदद करता है।
Q5. क्या EPS हर कंपनी बताती है?
हाँ, भारत में सभी Listed Companies को EPS रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने विस्तार से जाना कि EPS (Earnings Per Share) क्या है, इसे कैसे निकाला जाता है, इसके प्रकार, महत्व, फायदे और सीमाएँ क्या हैं।
EPS किसी कंपनी की Financial Strength का अहम पैमाना है और निवेशकों के लिए एक जरूरी इंडिकेटर है।
निवेश का फैसला सिर्फ EPS पर न करें, बल्कि अन्य Financial Ratios और कंपनी की स्थिति भी देखें।




















