जब भी कोई कंपनी या व्यक्ति बड़ी चीज़ें (जिन्हें Fixed Assets कहा जाता है) खरीदता है, जैसे – मशीन, गाड़ी, बिल्डिंग या फर्नीचर, तो समय के साथ उनकी कीमत कम होने लगती है। यही समझने के लिए हमें जानना ज़रूरी है कि Depreciation क्या होता है। दरअसल, Asset की Value में होने वाली यह कमी ही Depreciation कहलाती है।
किसी Asset की Value में गिरावट को Depreciation कहते हैं
किसी भी Asset (जैसे मशीन, गाड़ी या बिल्डिंग) की कीमत समय के साथ घटती जाती है। इस Value के धीरे-धीरे कम होने की प्रक्रिया को ही Depreciation कहा जाता है। यह कमी कई कारणों से होती है – जैसे लगातार इस्तेमाल से घिसावट, समय का असर या नई Technology आने से पुराना हो जाना।
Depreciation क्यों होता है? (कारण)
घिसावट (Wear and Tear) – Asset के इस्तेमाल से उसका काम धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाता है।
नई Technology (Obsolescence) – नया Model आने से पुराना Asset बेकार लगने लगता है।
नुकसान (Damage) – कभी-कभी Accident से भी Value कम हो जाती है।
समय (Time) – समय बीतने से भी चीज़ों की Value अपने आप घटती है।
Depreciation की खास बातें
यह केवल बड़ी और लंबा चलने वाली चीज़ों पर लागू होता है।
यह हर साल धीरे-धीरे कम होता है।
यह एक Non-Cash Expense है, यानी इसमें असली पैसा खर्च नहीं होता, सिर्फ अकाउंट्स में लिखा जाता है।
Balance Sheet में Asset की कीमत हर साल घटती जाती है।
प्रकार Depreciation के
Depreciation निकालने के अलग-अलग तरीके हैं:
Straight Line Method (SLM) – हर साल बराबर रकम घटती है।
Written Down Value Method (WDV) – हर साल Asset की बची हुई कीमत पर प्रतिशत से घटता है।
Units of Production Method – जितना इस्तेमाल होगा, उतना ही Depreciation लगेगा।
Depreciation कैसे निकालते हैं? (Calculation)
Formula:
Depreciation = (Asset की कीमत – बची हुई कीमत) ÷ Asset की उम्र
Example
मशीन खरीदी: ₹1,00,000
उम्र (Useful Life): 10 साल
बची हुई कीमत (Residual Value): ₹10,000
Depreciation = (1,00,000 – 10,000) ÷ 10 = ₹9,000 प्रति साल
मतलब मशीन की कीमत हर साल ₹9,000 कम मानी जाएगी।
Depreciation क्यों ज़रूरी है?
यह असली Profit और Loss दिखाता है।
कंपनी की Balance Sheet में Asset की सही कीमत दिखती है।
Tax कम करने में मदद मिलती है।
भविष्य में नई मशीन या गाड़ी खरीदने की योजना बनाने में काम आता है।
Amortization और Depreciation में फर्क
Depreciation – मशीन, गाड़ी, बिल्डिंग जैसी चीज़ों (Tangible Assets) पर लागू होता है।
Amortization – Patents, Trademarks जैसी अमूर्त चीज़ों (Intangible Assets) पर लागू होता है।
Depreciation की कमियां
Asset की उम्र और बची कीमत का सही अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
अलग-अलग Method से Profit अलग दिख सकता है।
यह सिर्फ हिसाब-किताब में Expense है, Cash पर असर नहीं डालता।
Chalakinvestor की सलाह
हमेशा Asset की उम्र और बची कीमत का सही अंदाज़ा लगाएं।
सही Method चुनें ताकि Profit और Tax सही दिखे।
अगर आप Investor हैं तो कंपनी के Accounts में Depreciation को जरूर देखें।
Long-Term Investment करने से पहले Depreciation का असर समझना ज़रूरी है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. Depreciation किन चीज़ों पर लगता है?
Ans: मशीन, गाड़ी, बिल्डिंग और फर्नीचर जैसी बड़ी चीज़ों पर।
Q2. क्या Depreciation से Cash खर्च होता है?
Ans: नहीं, यह Non-Cash Expense है।
Q3. सबसे ज़्यादा कौन-सा Method इस्तेमाल होता है?
Ans: Straight Line Method और Written Down Value Method।
Q4. क्या Depreciation से Tax कम होता है?
Ans: हाँ, क्योंकि Profit कम हो जाता है और उसी हिसाब से Tax भी घट जाता है।
Q5. Depreciation और Amortization में क्या फर्क है?
Ans: Depreciation Tangible Assets पर और Amortization Intangible Assets पर लागू होता है।
निष्कर्ष
अब आप जान गए होंगे कि Depreciation क्या होता है। यह किसी भी Business के लिए ज़रूरी Concept है। इससे Asset की असली कीमत पता चलती है और Profit- Loss का सही हिसाब लगाया जा सकता है।