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Bollinger Bands chart with upper and lower bands in Hindi

Bollinger Bands क्या हैं? पूरी जानकारी

Bollinger Bands क्या हैं?

Bollinger Bands एक प्रसिद्ध तकनीकी संकेतक (Technical Indicator) है।

इसका उपयोग शेयर, कमोडिटी या क्रिप्टो की कीमतों में उतार-चढ़ाव को समझने के लिए किया जाता है।

इसे 1980 के दशक में John Bollinger ने विकसित किया था। यह संकेतक यह बताता है कि बाजार में वोलाटिलिटी (volatility) कितनी है

और कीमतें अपने औसत से कितनी दूर जा चुकी हैं।


बोलिंगर बैंड का निर्माण कैसे होता है?

Bollinger Bands में तीन रेखाएं होती हैं:

  1. Middle Band: 20-दिन की सरल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average – SMA)

  2. Upper Band: Middle Band + (2 × Standard Deviation)

  3. Lower Band: Middle Band – (2 × Standard Deviation)

इन रेखाओं के बीच की दूरी वोलाटिलिटी के अनुसार बदलती है।


बोलिंगर बैंड की गणना कैसे करें?

  1. पहले 20-दिन का SMA निकालें।

  2. फिर उसी अवधि की Standard Deviation निकालें।

  3. Upper Band = SMA + 2 × SD

  4. Lower Band = SMA – 2 × SD

यह गणना हर नए दिन की कीमतों के साथ दोहराई जाती है।


यह इंडिकेटर कैसे काम करता है?

जब कीमतें Upper Band के पास होती हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि बाजार ओवरबॉट है।
जब कीमतें Lower Band के पास होती हैं, तो यह दर्शा सकता है कि बाजार ओवर्सोल्ड है।
Middle Band ट्रेंड की दिशा बताने में मदद करता है।


बोलिंग बैंड आपको क्या बताते हैं?

  • बाजार में वोलाटिलिटी बढ़ रही है या घट रही है

  • कीमतें ओवरबॉट हैं या ओवर्सोल्ड

  • संभावित ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के संकेत


बोलिंगर बैंड का उदाहरण

मान लीजिए किसी स्टॉक की 20-दिन की SMA ₹100 है और SD ₹5 है:

  • Upper Band = ₹100 + ₹10 = ₹110

  • Lower Band = ₹100 – ₹10 = ₹90

यदि स्टॉक की कीमत ₹112 हो जाती है, तो यह ओवरबॉट हो सकता है।


बोलिंगर बैंड की सीमाएं

  • यह एक lagging indicator है, मतलब संकेत थोड़ी देरी से देता है।

  • वोलाटिलिटी अधिक होने पर false signal आ सकते हैं।

  • अकेले उपयोग करने पर भ्रमित कर सकता है।


बोलिंग बैंड कितने सटीक हैं?

Bollinger Bands सटीकता के लिए विश्वसनीय हैं, लेकिन 100% सही नहीं होते।
साइडवेज़ या अनिश्चित बाजार में यह गलत संकेत दे सकते हैं।


जॉन बोलिंगर कौन हैं?

John Bollinger एक अमेरिकी तकनीकी विश्लेषक हैं। उन्होंने इस टूल को वोलाटिलिटी मापन के लिए बनाया।

उनका योगदान तकनीकी एनालिसिस की दुनिया में काफी अहम है।


बोलिंगर बैंड के साथ व्यापार कैसे करें?

  • जब कीमतें Lower Band को छूती हैं और वापस ऊपर जाती हैं → खरीद का मौका

  • जब कीमतें Upper Band को छूती हैं और नीचे आती हैं → बिक्री का मौका

  • बैंड के फैलाव से ट्रेंड की ताकत को समझें


बोलिंगर बैंड कितने विश्वसनीय हैं?

यह टूल अनुभवी ट्रेडर्स के लिए काफी भरोसेमंद है।
हालांकि, इसे अकेले इस्तेमाल न करें। RSI, MACD, और वॉल्यूम एनालिसिस के साथ उपयोग करें।


कौन से तकनीकी संकेतक बोलिंगर बैंड के समान हैं?

  • Keltner Channel

  • Donchian Channel

  • Envelopes
    ये भी वोलाटिलिटी और रेंज-बेस्ड संकेत देते हैं।


ChalakInvestor की सलाह

Bollinger Bands को समझना आसान है, लेकिन इसका सही प्रयोग जरूरी है।

इसे RSI या MACD जैसे अन्य संकेतकों के साथ मिलाकर उपयोग करें। केवल बैंड को देखकर निर्णय लेने से गलत सिग्नल मिलने का खतरा होता है

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