रिलायंस इंडस्ट्रीज के धमाकेदार तिमाही नतीजे
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) के शानदार नतीजे पेश किए हैं। कंपनी का समेकित मुनाफा सालाना आधार पर 76.5% बढ़कर ₹30,783 करोड़ पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में मुनाफा ₹15,138 करोड़ था।
एशियन पेंट्स में हिस्सेदारी की बिक्री और कंज्यूमर कारोबार में मजबूती ने दिया बूस्ट
अगर एशियन पेंट्स में हिस्सेदारी बेचने से हुए ₹8,924 करोड़ के एकमुश्त लाभ को हटा दिया जाए, तब भी मुनाफे में 25% की मजबूत ग्रोथ दर्ज हुई है।
आय में गिरावट, लेकिन EBITDA में बंपर बढ़त
कंपनी की कुल कंसोलीडेटेड आय ₹2.61 लाख करोड़ से घटकर ₹2.44 लाख करोड़ रही। इसके बावजूद, EBITDA में 36% की भारी वृद्धि दर्ज की गई और यह ₹58,024 करोड़ हो गया।
जियो प्लेटफॉर्म्स की ताकत
Net Profit: 25% बढ़कर ₹7,110 करोड़
EBITDA: 24% बढ़कर ₹18,135 करोड़
JioTrue5G यूजर्स: 20 करोड़ पार
JioAirFiber: 74 लाख ग्राहकों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी FWA सेवा
ARPU: बढ़कर ₹208.7
डेटा ट्रैफिक: 24% की बढ़त के साथ 54.7 अरब GB
रिलायंस रिटेल की चमक
Revenue: 11.3% बढ़कर ₹84,171 करोड़
EBITDA: 12.7% की वृद्धि से ₹6,381 करोड़
FMCG बिक्री: ₹11,450 करोड़ (दूसरे साल में)
नए स्टोर्स: 388 जोड़े गए, कुल स्टोर्स: 19,592
रजिस्टर्ड ग्राहक: 35.8 करोड़
जियोमार्ट:
68% तिमाही ग्रोथ
175% सालाना ऑर्डर ग्रोथ
जियोस्टार की धमाकेदार परफॉर्मेंस
Revenue: ₹9,904 करोड़
EBITDA: ₹1,017 करोड़
JioHotstar App: 1 अरब से अधिक डाउनलोड
MAU (Monthly Active Users): 46 करोड़+
दर्शक संख्या: IPL सीजन में 1.19 अरब तक पहुंची
कमजोर रहे O2C और तेल-गैस सेक्टर
ऑयल-टू-केमिकल (O2C)
आय 1.5% घटी: ₹1.55 लाख करोड़
EBITDA 11% बढ़ा: ₹14,511 करोड़
तेल और गैस
आय 1.2% घटी: ₹6,103 करोड़
EBITDA 4.1% गिरा: ₹4,996 करोड़
कारण: KG-D6 का कम उत्पादन, CBM की कम कीमतें और रखरखाव खर्च
पूंजीगत खर्च और कर्ज
कैपिटल एक्सपेंडीचर: ₹29,887 करोड़
नेट कर्ज: ₹1.17 लाख करोड़ (मार्च से थोड़ा बढ़ा)
ChalakInvestor सलाह
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बार फिर साबित किया है कि वह सिर्फ एक पारंपरिक ऊर्जा कंपनी नहीं रही। डिजिटल, रिटेल और मीडिया जैसे हाई-ग्रोथ सेगमेंट्स में कंपनी की पकड़ मजबूत होती जा रही है। खासकर जियो और रिलायंस रिटेल की जबरदस्त ग्रोथ लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए भरोसे का संकेत है। हालांकि, ऑयल-टू-केमिकल और गैस सेगमेंट में कमजोरी कुछ दबाव डाल सकती है, लेकिन कंज्यूमर-ड्रिवन स्ट्रैटेजी कंपनी को आगे और भी मजबूत बना सकती है।
निवेशक सोच-समझकर, डेटा के आधार पर और लंबी अवधि की दृष्टि से निवेश करें।