मार्केट कैप क्या होता है – Large Cap vs Small Cap
जब भी हम किसी कंपनी में investment की बात करते हैं, तो एक शब्द बार-बार सुनाई देता है –
“मार्केट कैप”।
- पर क्या आपने सोचा है, ये मार्केट कैप क्या होता है?
- और ये Large Cap, Mid Cap, और Small Cap क्या दर्शाते हैं?
मार्केट कैप क्या होता है?
मार्केट कैप, यानी मार्केट कैपिटलाइज़ेशन, किसी कंपनी की सामान्य वैल्यू होती है।
ये हमें यह बताता है कि बाजार उस कंपनी की कितनी कीमत फिक्स करता है।
कैसे निकालते हैं?
कंपनी के एक शेयर की कीमत × कुल शेयरों की संख्या = मार्केट कैप
उदाहरण के लिए:-
अगर किसी कंपनी का एक शेयर की कीमत ₹100 है और उसके 10 लाख शेयर हैं,
तो उसकी मार्केट कैप = ₹100 × 10,00,000 = ₹10 करोड़
मार्केट कैप के प्रकार
भारत में कंपनियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है:-
1. Large Cap कंपनियां
- ये कंपनियां सबसे बड़ी और Famous होती हैं।
- इनकी मार्केट कैप ₹20,000 करोड़ से अधिक होती है।
- ये कंपनियां stable और भरोसेमंद जानी जाती हैं।
उदाहरण:-
Reliance, TCS, Infosys
2. Mid Cap कंपनियां
- इनका आकार मंझोला होता है।
- मार्केट कैप ₹5,000 करोड़ से ₹20,000 करोड़ तक होती है।
- ये ग्रोथ के लिए अच्छी जानी जाती हैं लेकिन थोड़ी जोखिम वाली होती हैं।
उदाहरण:-
Torrent Pharma, Dixon Technologies
3. Small Cap कंपनियां
- इनकी मार्केट कैप ₹5,000 करोड़ से कम होती है।
- ये छोटी कंपनियां होती हैं, जो अभी बढ़ रही होती हैं।
- इनमें ज्यादा फायदा भी हो सकता है और ज्यादा जोखिम भी।
उदाहरण:-
TTK Prestige, BSE Ltd.
Large Cap vs Small Cap (Comparison)
बिंदु | Large Cap (बड़ी कंपनियां) | Small Cap (छोटी कंपनियां) |
---|---|---|
जोखिम (Risk) | कम होता है | ज़्यादा हो सकता है |
मुनाफा (Return) | धीरे-धीरे लेकिन स्थिर मुनाफा मिलता है | जल्दी मुनाफा मिल सकता है, पर जोखिम भी है |
कंपनी का आकार | कंपनी बहुत बड़ी और जानी-पहचानी होती है | कंपनी छोटी और नई होती है |
भरोसा (Trust) | निवेशक इन पर ज़्यादा भरोसा करते हैं | थोड़ा कम भरोसा होता है |
निष्कर्ष ( conclusion )
- मार्केट कैप एक सरल रणनीति है कंपनी के आकार और स्थिति को समझने का।
- Large Cap कंपनियाँ सुरक्षित और स्थिर होती हैं।
- Small Cap कंपनियाँ जल्दी बढ़ सकती हैं, लेकिन जोखिम भी बढ़ता है।
- अतः निवेश करने पहले कंपनी की मार्केट कैप जरूर जानें।