Mutual Fund में निवेश करते समय ज़्यादातर लोग सिर्फ returns देखते हैं। लेकिन returns के साथ-साथ एक और चीज़ को जानना उतना ही ज़रूरी है, और वह है Expense Ratio। यह वह शुल्क है जो सीधे आपके निवेश पर असर डालता है। यदि आप mutual fund निवेशक हैं तो आपके लिए यह समझना ज़रूरी है कि Expense Ratio क्या होता है और यह आपके final returns को कैसे प्रभावित करता है।
परिभाषा Expense Ratio की
एक्सपेंस रेश्यो क्या होता है इसे सरल भाषा में समझें। यह एक शुल्क है जो Asset Management Company (AMC) mutual fund scheme को चलाने के लिए लेती है। यह शुल्क आपकी निवेशित राशि के प्रतिशत में लिया जाता है और fund की Net Asset Value (NAV) से deduct होता है। यानी, निवेशक को मिलने वाला return Expense Ratio घटने के बाद ही दिखाई देता है।
Expense Ratio में क्या-क्या शामिल होता है?
एक्सपेंस रेश्यो में fund से जुड़े कई तरह के खर्च शामिल होते हैं।
Fund Manager की fees
Administration और office खर्च
Marketing और Distribution खर्च
Registrar और Transfer Agent charges
Audit और Compliance खर्च
Expense Ratio कैसे काम करता है?
मान लीजिए आपने ₹1,00,000 किसी mutual fund में लगाए हैं और उस fund का Expense Ratio 1% है। इसका मतलब है कि हर साल ₹1,000 आपके निवेश से खर्च के रूप में काट लिया जाएगा। अगर fund 12% return देता है तो असल में आपको 11% return मिलेगा। इसी तरह, ज्यादा Expense Ratio वाले funds में long-term returns काफी घट सकते हैं।
Expense Ratio का महत्व
कम खर्च = ज्यादा return → निवेशक को लंबे समय में फायदा होता है।
ज्यादा खर्च = कम return → returns धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
Index Funds और ETFs में Expense Ratio बहुत कम होता है।
Active Funds में यह आमतौर पर ज्यादा होता है क्योंकि इन्हें actively manage किया जाता है।
SEBI द्वारा Expense Ratio पर सीमा
SEBI ने mutual fund कंपनियों के लिए Expense Ratio की सीमा तय की है।
Equity Funds: लगभग 1% से 2.5%
Debt Funds: 0.1% से 1%
Index Funds और ETFs: 0.05% से 0.5%
Expense Ratio कैसे compare करें?
Mutual Fund चुनते समय Expense Ratio की तुलना करना ज़रूरी है। हमेशा एक ही category के funds को compare करें। कम खर्च वाले funds लंबे समय में बेहतर returns देते हैं। हालांकि सिर्फ खर्च पर ध्यान न दें, fund का performance भी देखना उतना ही जरूरी है।
Real Life Example
मान लीजिए आपके पास दो mutual funds हैं और दोनों 12% का annual return देते हैं।
Fund A का Expense Ratio 1% है → Final return = 11%
Fund B का Expense Ratio 2% है → Final return = 10%
अगर आपने ₹10 लाख invest किए हैं और 15 साल तक निवेश जारी रखा, तो इन दोनों funds में करोड़ों रुपये का फर्क आ सकता है।
ChalakInvestor की सलाह
Mutual Fund चुनते समय Expense Ratio को नज़रअंदाज़ न करें। यह छोटा-सा फर्क लंबे समय में बड़ा असर डाल सकता है। बेहतर होगा कि आप ऐसे funds चुनें जिनमें खर्च कम हो और performance अच्छा हो। Index Funds और ETFs इस मामले में अच्छे विकल्प हो सकते हैं क्योंकि इनमें खर्च बहुत कम होता है और returns ज़्यादा मिलते हैं।
FAQs: Expense Ratio
Q1. Expense Ratio क्या होता है?
यह AMC द्वारा लिया जाने वाला शुल्क है जो NAV से deduct होता है।
Q2. क्या कम Expense Ratio हमेशा अच्छा होता है?
हाँ, कम खर्च वाले funds लंबे समय में ज्यादा return देते हैं।
Q3. Equity और Debt Funds में खर्च कितना होता है?
Equity Funds में 1%-2.5% और Debt Funds में 0.1%-1%।
Q4. Active और Passive Funds में फर्क क्या है?
Active Funds का खर्च ज्यादा होता है। Passive Funds (Index Funds, ETFs) का खर्च कम होता है।
Q5. Expense Ratio return को कैसे प्रभावित करता है?
यह NAV से deduct होता है और निवेशक को मिलने वाला final return घटा देता है।
निष्कर्ष
अब आप जान गए कि Expense Ratio क्या होता है। यह mutual fund निवेश का वह खर्च है जो returns पर सीधा असर डालता है। खर्च जितना कम होगा, निवेशक को उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। इसलिए fund चुनते समय Expense Ratio को ज़रूर देखें और समझदारी से निवेश करें।