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Mark to Market क्या होता है? आसान भाषा में पूरी जानकारी

Stock Market और खासकर Futures & Options (F&O) में ट्रेड करने वालों ने अक्सर Mark to Market (MTM) शब्द सुना होगा। यह हर Trader के लिए जरूरी है क्योंकि इससे रोजाना का Profit और Loss तय होता है। बिना इसे समझे कोई भी Futures और Options Trading सही तरीके से नहीं कर सकता।
तो आइए आसान भाषा में समझते हैं कि Mark to Market क्या होता है और यह कैसे काम करता है।


परिभाषा Mark to Market की

Market to Mark क्या होता है?
Mark to Market एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भी Asset या Contract का मूल्य उसकी आज की Market Price के आधार पर तय किया जाता है।
आसान भाषा में, MTM का मतलब है – आपके पास जो भी Position (Contract) है, उसका Profit या Loss रोजाना Market Price के हिसाब से Calculate करना।


Mark to Market कैसे काम करता है?

जब आप Futures या Options में Trade करते हैं, तो Profit और Loss का हिसाब रोजाना किया जाता है।

  • अगर Price बढ़ता है तो Buyer को Profit और Seller को Loss होता है।

  • अगर Price गिरता है तो Seller को Profit और Buyer को Loss होता है।

यही रोजाना Profit और Loss का हिसाब Mark to Market Settlement कहलाता है।


उदाहरण Mark to Market का

मान लो आपने Nifty Futures 20,000 पर खरीदा।

  • पहला दिन: अगर दिन के अंत में Nifty 20,050 पर बंद हुआ तो आपको ₹50 (प्रति यूनिट) का Profit मिलेगा।

  • दूसरा दिन: अगर अगले दिन Nifty 19,950 पर बंद हुआ तो आपको ₹100 (प्रति यूनिट) का Loss होगा।

यानी Profit और Loss रोजाना Market Price के अनुसार तय होगा।


Mark to Market का उद्देश्य

  • Assets और Contracts की Real Value दिखाना

  • Unrealized Profit और Loss को रोजाना साफ करना।

  • Market को Transparent और Fair रखना।

  • Daily Basis पर Settlement करके Risk को कम करना।


महत्व Mark to Market का

  • Market को Fair और Clear रखता है।

  • Default का Risk कम करता है क्योंकि Profit और Loss रोजाना Adjust हो जाते हैं।

  • Trader को रोजाना अपनी असली स्थिति (Profit/Loss) का पता चलता है।

  • Derivatives Market को भरोसेमंद और Transparent बनाता है।


फायदे Mark to Market के

  • Profit और Loss रोजाना Clear हो जाता है।

  • Market Manipulation कम होता है।

  • Investors और Traders को Actual Position समझने में आसानी होती है।

  • Risk Management बेहतर होता है।


Mark to Market की सीमाएँ

  • अगर Market ज्यादा Volatile हो तो रोजाना Profit और Loss में बड़ा फर्क आ सकता है।

  • Short-Term Fluctuations का असर बहुत ज्यादा हो सकता है।

  • Beginners इसे समझने में Confuse हो सकते हैं।


Mark to Market और Book Value में अंतर

आधारMark to MarketBook Value
आधारCurrent Market Price परHistorical Cost पर
अपडेटरोजाना (Daily Basis पर)सालाना या लंबे समय बाद
उपयोगFutures और Options MarketBalance Sheet और Accounting

Chalakinvestor की सलाह

  • अगर आप Futures और Options में ट्रेड करते हैं, तो Mark to Market को जरूर समझें।

  • इसे हमेशा Risk Management के साथ ध्यान में रखें।

  • Beginners पहले छोटे Contracts में Practice करें ताकि MTM की Working अच्छी तरह समझ सकें।

  • Long-Term Investor के लिए MTM उतना जरूरी नहीं है, यह खासकर Short-Term Trading के लिए उपयोगी है।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. Mark to Market क्या होता है?
Ans: यह प्रक्रिया है जिसमें किसी Asset या Contract का मूल्य उसकी Current Market Price पर तय किया जाता है।

Q2. MTM Settlement कहाँ ज्यादा Use होता है?
Ans: Futures और Options (Derivatives Market) में।

Q3. क्या Mark to Market से Risk कम होता है?
Ans: हाँ, क्योंकि Profit और Loss रोजाना Clear हो जाते हैं, जिससे Default का Risk घटता है।

Q4. MTM और Book Value में क्या फर्क है?
Ans: MTM Market Price पर आधारित है, जबकि Book Value Historical Cost पर।

Q5. क्या Beginners के लिए Mark to Market जरूरी है?
Ans: हाँ, क्योंकि बिना MTM समझे कोई भी Futures और Options Trading सही तरीके से नहीं कर सकता।


निष्कर्ष

अब आप समझ गए होंगे कि Mark to Market क्या होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हर दिन Contracts का Profit और Loss Market Price के हिसाब से तय किया जाता है। इससे Market Fair और Transparent रहता है और Traders को अपनी असली स्थिति का पता चलता है। Futures और Options Market में सफल होने के लिए Mark to Market समझना बहुत जरूरी है।

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