स्टॉक मार्केट की दुनिया में कई ऐसे financial instruments होते हैं जो निवेशकों और ट्रेडर्स को मुनाफा कमाने और risk से बचने का मौका देते हैं। इन्हीं में से सबसे लोकप्रिय derivatives हैं – Futures और Options। कई नए निवेशक यह जानना चाहते हैं कि Futures और Options क्या हैं, इनका इस्तेमाल कैसे होता है और इनमें फर्क क्या है। इस article में हम step-by-step Futures और Options को आसान भाषा में समझेंगे।
Futures क्या होते हैं?
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स ऐसे standardized agreements होते हैं जिनमें buyer और seller भविष्य की किसी निश्चित तारीख पर एक तय कीमत पर asset (जैसे शेयर, commodity, currency या index) खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं।
Futures की खास बातें:
Price आज तय होता है लेकिन delivery future date पर होती है।
यह contracts हमेशा stock exchange (जैसे NSE, BSE) पर trade होते हैं।
Futures में margin देना अनिवार्य होता है।
Futures contracts का size fixed होता है, जैसे Nifty Futures, Bank Nifty Futures इत्यादि।
Example:
मान लीजिए आपको लगता है कि Reliance Industries का share अगले महीने बढ़ेगा। आप आज के भाव पर Reliance Futures खरीद लेते हैं। अगर expiry date तक Reliance का भाव बढ़ता है, तो आपको profit होगा।
Options क्या होते हैं?
ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स ऐसे financial instruments होते हैं जिनमें buyer को किसी asset को future में खरीदने या बेचने का अधिकार (Right) मिलता है, लेकिन उसे यह करने की बाध्यता (Obligation) नहीं होती।
Options की खास बातें:
Options दो प्रकार के होते हैं:
Call Option – किसी asset को future में खरीदने का अधिकार।
Put Option – किसी asset को future में बेचने का अधिकार।
Buyer सिर्फ एक premium चुकाता है और उसका loss सिर्फ उसी तक सीमित होता है।
Seller (Writer) को obligation निभाना पड़ता है।
Example:
अगर आपको लगता है कि Infosys का share गिरेगा, तो आप Put Option खरीद सकते हैं। अगर share की कीमत सच में गिरती है तो आपको profit होगा और अगर नहीं गिरता तो आपका नुकसान सिर्फ premium तक सीमित रहेगा।
Futures और Options में अंतर
Points | Futures | Options |
---|---|---|
Obligation | Buyer और Seller दोनों बाध्य | Buyer को अधिकार, Seller को बाध्यता |
Risk | Unlimited | Limited (premium तक) |
Cost | Margin देना पड़ता है | Premium देना पड़ता है |
Liquidity | ज़्यादा | कम (asset पर depend करता है) |
Profit Potential | दोनों पक्षों के लिए high risk-high reward | Buyer के लिए unlimited profit, limited risk |
Futures और Options क्यों इस्तेमाल किए जाते हैं?
Hedging:
निवेशक और कंपनियाँ price risk से बचने के लिए F&O का इस्तेमाल करती हैं।Speculation:
ट्रेडर्स short-term price movement का अनुमान लगाकर profit कमाने के लिए Futures और Options का इस्तेमाल करते हैं।Arbitrage:
Market में price differences का फायदा उठाकर traders arbitrage strategy से कमाई करते हैं।
ChalakInvestor की सलाह
शुरुआती निवेशकों को Futures और Options trading में कूदने से पहले basics अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए।
हमेशा छोटी capital से शुरुआत करें और stop-loss का उपयोग करें।
Options trading relatively सुरक्षित है क्योंकि इसमें risk limited होता है।
Futures में leverage बहुत ज़्यादा होता है, इस कारण नुकसान भी बड़ा हो सकता है।
अगर आप long-term investor हैं, तो equity और mutual funds आपके लिए बेहतर विकल्प हैं।
Practice के लिए पहले demo trading या paper trading करें।
FAQs: Futures और Options
Q1. Futures और Options में सबसे बड़ा risk क्या है?
Futures में loss unlimited हो सकता है, जबकि Options में buyer का loss सिर्फ premium तक सीमित होता है।
Q2. क्या हर कोई Futures और Options trade कर सकता है?
हाँ, लेकिन इसके लिए demat और trading account ज़रूरी है और margin requirements पूरी करनी पड़ती हैं।
Q3. क्या Futures और Options long-term investing के लिए अच्छे हैं?
नहीं, ये short-term trading और hedging के लिए ज़्यादा उपयुक्त हैं। Long-term investors को stocks और mutual funds पर ध्यान देना चाहिए।
Q4. Options में Call और Put का क्या मतलब है?
Call = खरीदने का अधिकार, Put = बेचने का अधिकार।
Q5. Futures और Options सीखने का आसान तरीका क्या है?
Educational resources पढ़ें, demo trading करें और धीरे-धीरे strategies सीखें।
निष्कर्ष (Conclusion)
Futures और Options स्टॉक मार्केट के महत्वपूर्ण derivatives हैं। Futures में buyer और seller दोनों बाध्य होते हैं, जबकि Options सिर्फ अधिकार देते हैं और buyer का risk limited रहता है। इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से hedging, speculation और arbitrage के लिए किया जाता है। नए निवेशकों को चाहिए कि पहले basic knowledge लेकर छोटी capital से शुरुआत करें और धीरे-धीरे experience बढ़ाएँ।