भारत के कॉर्पोरेट जगत में उस समय हलचल मच गई जब CBI Raid on Anil Ambani और उनकी कंपनियों से जुड़े छह ठिकानों पर छापेमारी की गई। यह छापा एक बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले (Bank Fraud Case) से जुड़ा है।
मामला कहाँ से शुरू हुआ?
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 13 जून 2025 को रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के खाते को “फ्रॉड” घोषित किया। बैंक का आरोप है कि कंपनी ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लिया, लेकिन उसका इस्तेमाल नियमानुसार नहीं किया।
इसके बाद, 24 जून को SBI ने इस रिपोर्ट को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को सौंपा। रिपोर्ट के आधार पर CBI ने एफआईआर दर्ज की और 23 अगस्त को मुंबई स्थित छह परिसरों पर छापेमारी की। इसमें अनिल अंबानी का निवास, दफ्तर और अन्य कंपनियों के ऑफिस शामिल थे।
छापेमारी क्यों अहम है?
CBI की यह कार्रवाई सिर्फ औपचारिक जांच नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम एक बड़े नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश है।
छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। एजेंसी यह जांच कर रही है कि लोन की रकम कहाँ और कैसे खर्च हुई। क्या इस रकम को शेल कंपनियों या विदेशों में ट्रांसफर किया गया? यह भी एक बड़ा सवाल है।
ईडी की पिछली कार्रवाई
यह पहला मौका नहीं है जब अनिल अंबानी पर जांच हुई हो। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें 17,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया था।
ईडी ने उनसे कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे:
क्या लिए गए लोन शेल कंपनियों में ट्रांसफर किए गए?
क्या राजनीतिक दलों को फंडिंग दी गई?
क्या किसी अधिकारी को रिश्वत दी गई?
इन सवालों से साफ है कि एजेंसियां बैंक फ्रॉड के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) और राजनीतिक कनेक्शन की भी पड़ताल कर रही हैं।
किन कंपनियों के नाम आए सामने?
जांच केवल RCom तक सीमित नहीं है। इस मामले में अनिल अंबानी के समूह की कई कंपनियों का नाम सामने आया है:
Reliance Communications (RCom) – हजारों करोड़ के लोन का गलत इस्तेमाल।
Reliance Infrastructure – संदिग्ध लेन-देन जांच के घेरे में।
अन्य सहयोगी कंपनियाँ – 2017 से 2019 के बीच Yes Bank और अन्य बैंकों से लिए गए लोन में गड़बड़ी।
घोटाले की दो बड़ी परतें
1. यस बैंक लोन मामला (₹3,000 करोड़)
2017 से 2019 के बीच Yes Bank ने रिलायंस समूह की कंपनियों को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का लोन दिया। आरोप है कि इस रकम का इस्तेमाल असली प्रोजेक्ट्स की बजाय अन्य कामों में हुआ।
2. रिलायंस कम्युनिकेशंस घोटाला (₹14,000 करोड़ से अधिक)
इस हिस्से में 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन के दुरुपयोग का आरोप है। CBI और ED दोनों एजेंसियां इस पर जांच कर रही हैं।
बैंकों पर असर
इस धोखाधड़ी का सीधा असर भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर पड़ा है।
SBI का RCom पर लगभग ₹2,227 करोड़ का एक्सपोजर है।
इसके अलावा ₹786 करोड़ की गैर-फंड आधारित गारंटी भी दी गई थी।
अगर रकम वापस नहीं मिलती तो बैंक की बैलेंस शीट पर भारी असर पड़ेगा।
निवेशकों की चिंता
इस घटना के बाद निवेशकों में डर बढ़ गया है। वे मानते हैं कि CBI Raid on Anil Ambani से कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बैंकिंग सेक्टर की साख पर गहरा असर पड़ सकता है।
आगे की संभावनाएँ
CBI आने वाले दिनों में अनिल अंबानी से पूछताछ कर सकती है।
ED पहले ही उनसे घंटों सवाल-जवाब कर चुका है।
संभावना है कि और बड़े नाम सामने आएंगे।
राजनीतिक और कारोबारी संबंधों की गहन जांच होगी।
Chalak Investor की सलाह
यह मामला निवेशकों के लिए बड़ा सबक है। केवल कंपनी का बड़ा नाम सुरक्षा की गारंटी नहीं देता।
निवेश से पहले कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्ट्स पढ़ें।
कंपनी का Debt-to-Equity Ratio जरूर देखें।
उन कंपनियों से बचें जिन पर लगातार बैंक लोन और अनियमितताओं के आरोप लगते हैं।
डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान दें। केवल एक सेक्टर या कंपनी में निवेश करने से जोखिम बढ़ जाता है।
याद रखें, सफल निवेश वही है जो जोखिम को पहचानकर संतुलित रणनीति अपनाता है।




















